अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आने वाले प्रवासियों की नागरिकता Article 6 Citizenship Of Migrants Coming To India From Pakistan
अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आने वाले प्रवासियों की नागरिकता
Article 6 Citizenship Of Migrants Coming To India From Pakistan
अनुच्छेद 6 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो "पाकिस्तान से भारत आने वाले प्रवासियों की नागरिकता" से संबंधित है। भारत के विभाजन के समय, हजारों लाखों लोग पाकिस्तान से भारत आए, और उनकी नागरिकता को स्पष्ट करने के लिए यह अनुच्छेद जोड़ा गया था।
अनुच्छेद 6 का विवरण:
यह उन व्यक्तियों के लिए नागरिकता का प्रावधान करता है, जो "पाकिस्तान से भारत में प्रवास" कर चुके थे।
प्रमुख प्रावधान:
✅ 26 जनवरी 1950 से पहले भारत में आए प्रवासी: - वह व्यक्ति, जो पाकिस्तान से भारत में 19 जुलाई 1948 से पहले (भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के तहत) आया हो, उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा, यदि:
वह भारत में "स्थायी रूप से निवास" कर रहा हो, और
- उसने भारत में रहने की "नियत" से प्रवास किया हो।
✅ 19 जुलाई 1948 के बाद आए प्रवासी:- यदि कोई व्यक्ति 19 जुलाई 1948 के पश्चात पाकिस्तान से भारत आया है, तो उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा, "लेकिन उसे भारतीय सरकार द्वारा बनाए गए कानून के तहत "पंजीकरण" कराना होगा।
यह पंजीकरण केवल तभी होगा, जब वह ,"कम से कम 6 महीने" भारत में रह चुका हो और इसके बाद नागरिकता के लिए आवेदन करे।
✅ पाकिस्तान के क्षेत्र का अर्थ:- "पाकिस्तान" का मतलब है विभाजन के समय के भारत से अलग हुए क्षेत्र, जिसमें वर्तमान के पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों शामिल थे।
✅अनुच्छेद 6 का उद्देश्य:- यह प्रावधान विशेष रूप से "भारत विभाजन" के दौरान पैदा हुई स्थिति को संबोधित करता है।
पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, और अन्य अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए इस अनुच्छेद में प्रावधान किया गया।
अनुच्छेद 6 ने उन व्यक्तियों के लिए नागरिकता का निर्धारण किया, जिनके पास उस समय कोई अन्य कानूनी प्रक्रिया उपलब्ध नहीं थी।
अनुच्छेद 6 का विश्लेषण:
✅19 जुलाई 1948 की सीमा:- यह तिथि इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह "भारतीय सरकार" द्वारा नागरिकता और प्रवासियों से संबंधित प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने का प्रयास किया था।
जो लोग 19 जुलाई 1948 से पहले आए, उनके लिए सरल प्रक्रिया तय की गई।
जो लोग 19 जुलाई 1948 के बाद आए, उन्हें पंजीकरण और निवास जैसी शर्तें पूरी करनी थीं।
✅ स्थायी निवास का सिद्धांत :- यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि केवल वे लोग, जो भारत में स्थायी रूप से रहना चाहते हैं, नागरिकता के पात्र होंगे।
✅धार्मिक अल्पसंख्यक:-विभाजन के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू, सिख और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए यह अनुच्छेद 6 भारतीय नागरिकता का एक महत्वपूर्ण आधार बना।
कानूनी प्रक्रिया और नागरिकता अधिनियम, 1955:
अनुच्छेद 6 के द्वारा दी गई व्यवस्था को बाद में विस्तारित करने के लिए "नागरिकता अधिनियम, 1955 " लाया गया।
इस अधिनियम ने नागरिकता के लिए स्पष्ट नियम बनाए:
✅जन्म से नागरिकता
✅वंशानुगत नागरिकता
✅ पंजीकरण द्वारा नागरिकता
✅प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता
✅भारत में प्रवेश के दौरान शर्तें
संविधान के संदर्भ में अनुच्छेद 6 का महत्व:
✅विभाजन की जटिलता का समाधान: - यह अनुच्छेद विभाजन के दौरान विस्थापित हुए लोगों के अधिकारों और नागरिकता को स्पष्ट करने के लिए शामिल किया गया था।
✅भारत की समावेशी दृष्टि:- अनुच्छेद 6 ने यह सुनिश्चित किया कि भारत उन व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित स्थान बना रहे, जो विभाजन के कारण उत्पीड़न का शिकार हुए थे।
✅सीमित प्रावधान:- यह प्रावधान संविधान लागू होने के समय तक सीमित था, और बाद में इसे नागरिकता अधिनियम के तहत नियंत्रित किया गया।
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