भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 :- नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्र सीमाओं या नाम में परिवर्तन Article 3 Of The Indian Constitution:- Creation Of New States And Alteration Of The Territorial Limits Or Name Of Existing States.

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 :- नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्र सीमाओं या नाम में परिवर्तन
Article 3 Of The Indian Constitution:- Creation Of New States And Alteration Of The Territorial Limits Or Name Of Existing States.





भारतीय संविधान का अनुच्छेद 3 संसद को यह अधिकार प्रदान करता है कि वह भारत के राज्यों और संघीय क्षेत्रों के पुनर्गठन, सीमाओं में परिवर्तन, या नए राज्यों के गठन से संबंधित कानून बना सके। यह प्रावधान भारतीय संघ की क्षेत्रीय अखंडता और लचीलापन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। 

 अनुच्छेद 3 की मुख्य विशेषताएँ:

 1. नए राज्यों का निर्माण: संसद किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों के साथ मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य कें भाग के साथ मिलाकर नए राज्यों का निर्माण सकती है। 

 2. राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन: राज्यों की सीमाओं को घटाने या बढ़ाने का प्रावधान है

 3. राज्यों के नाम में परिवर्तन: किसी राज्य का नाम बदला जा सकता है।

 4. संसद का अधिकार: यह प्रक्रिया संसद के विशेषाधिकार में आती है और राज्यों की सहमति आवश्यक नहीं है।

 5. राज्य विधानमंडल से परामर्श: हालांकि, प्रस्तावित परिवर्तन पर संबंधित राज्य विधानमंडल से राय लेना आवश्यक है, लेकिन उसकी राय बाध्यकारी नहीं होती।

 प्रक्रिया:
 1. केंद्र सरकार इस विषय में एक विधेयक संसद में प्रस्तुत करती है। 

2. विधेयक को राष्ट्रपति द्वारा संबंधित राज्य की विधानमंडल को विचार के लिए भेजा जाता है।

 3. राज्य की राय प्राप्त होने के बाद, संसद में बहुमत के साथ इसे पारित किया जा सकता है। 

 उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए संसद द्वारा पारित कोई भी विधि अनुच्छेद 368 के प्रयोजन के लिए संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी। 

 उदाहरण: - 
2000 में उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ का गठन। 

- 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन से तेलंगाना का निर्माण।

(डॉ. सुब्रमण्यम बनाम गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया AIR 2014 आंध्र प्रदेश)
इस केस में कोर्ट ने निर्णय दिया कि आंध्र प्रदेश राज्य का विभाजन असंवैधानिक नहीं है क्योंकि यह सम्यक् विधिक प्रक्रिया द्वारा किया गया है विधि के अनुरूप किया गया है तथा संविधान में इसका प्रावधान है 

 अनुच्छेद 3 भारतीय संघ की संरचना को लचीला बनाता है और इसे समयानुसार आवश्यकतानुसार बदलने की सुविधा प्रदान करता है।

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