भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1. Article 1. of The Indian Constitution
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1. Article 1. of The Indian Constitution
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 भारत को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में परिभाषित करता है और देश के क्षेत्रीय ढांचे को स्पष्ट करता है।
राज्य पुनर्गठन और अनुच्छेद 1 संविधान में राज्यों की सीमाओं और नामों को बदलने का प्रावधान है (अनुच्छेद 3 के तहत)।
1956 का राज्य पुनर्गठन अधिनियम और उसके बाद नए राज्यों का गठन (जैसे, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना) अनुच्छेद 1 की व्यावहारिकता को दर्शाते हैं।
इस अनुच्छेद में तीन मुख्य प्रावधान हैं
1.भारत का नाम :-
अनुच्छेद 1(1) के अनुसार, "भारत, अर्थात् इंडिया, राज्यों का संघ होगा।"
भारत को "इंडिया" और "भारत" दोनों नामों से मान्यता दी गई है।
"इंडिया" नाम ब्रिटिश शासन और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में प्रचलित हुआ।
"भारत" नाम प्राचीन सांस्कृतिक और सभ्यतागत पहचान से जुड़ा है।
2023-24 में "इंडिया" को बदलकर केवल "भारत" करने की मांगें भी चर्चा में रही हैं।
2. राज्य और क्षेत्र :-
भारत को एक "राज्यों का संघ" (Union of States) के रूप में स्थापित करता है।
अनुच्छेद 1(2) यह निर्दिष्ट करता है कि भारत में कौन-कौन से राज्य और संघीय क्षेत्र शामिल हैं।
संविधान के पहले अनुसूची (First Schedule) में राज्यों और संघीय क्षेत्रों की सूची दी गई है।
3.भारत का क्षेत्र :-
अनुच्छेद 1(3) भारत के क्षेत्र को तीन हिस्सों में परिभाषित करता है:
(a) राज्य (States):- राज्यों का उल्लेख संविधान की पहली अनुसूची में किया गया है राज्यों की सीमाओं को संसद संशोधित कर सकती है।
(b) संघीय क्षेत्र (Union Territories) :- सीधे केंद्र सरकार के अधीन आते हैं। दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे संघीय क्षेत्रों को विशेष प्रावधान दिए गए हैं
(c) अधिग्रहित क्षेत्र (Acquired Territories) :- वे क्षेत्र जिन्हें भारत अधिग्रहित कर सकता है। भारत को भविष्य में अधिग्रहित क्षेत्रों को शामिल करने का अधिकार है। उदाहरण: गोवा का 1961 में भारत में शामिल होना।
अनुच्छेद 1 की कुछ महत्वपूर्ण बातें :-
अखंडता और एकता का प्रतीक :- अनुच्छेद 1 यह स्पष्ट करता है कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है। केंद्र सरकार के पास राज्यों के पुनर्गठन, सीमाओं को संशोधित करने और नए क्षेत्र शामिल करने का अधिकार है। भारत एक एकीकृत राष्ट्र है, जिसमें राज्यों का अस्तित्व संविधान के अधीन है। यह भारत की संघीय व्यवस्था की बुनियादी संरचना को भी दर्शाता है।
संवैधानिक प्रावधानों का महत्व :- अनुच्छेद 1 केवल भारत का भौगोलिक विवरण नहीं है, बल्कि यह भारत की राजनीतिक संरचना, संघीय प्रणाली, और एकता के लिए आधारशिला प्रदान करता है।
"राज्यों का संघ" शब्द का अर्थ :- भारत संघीय ढांचे पर आधारित है, लेकिन इसका गठन राज्यों के स्वैच्छिक समझौते के माध्यम से नहीं हुआ। बल्कि संविधान द्वारा स्थापित किया गया है।
राज्यों का संघ' शब्द का महत्व:- (संघवाद का भारतीय मॉडल)
भारतीय संविधान ने अमेरिकी संघीय प्रणाली से प्रेरणा ली, लेकिन यहां "संघ" शब्द का अर्थ अलग है। भारत एक 'अविभाज्य संघ' है, जिसका मतलब है कि राज्य अपनी मर्जी से संघ में शामिल नहीं हुए, बल्कि संविधान द्वारा स्थापित किए गए।
इसका यह भी अर्थ है कि राज्य केंद्र के अधीन हैं और उनकी सत्ता संविधान से निर्धारित होती है।
संप्रभुता का संकेत :- भारत के सभी राज्य और संघीय क्षेत्र संविधान के तहत भारत की संप्रभुता के हिस्से हैं। भारत की संप्रभुता को बनाए रखने में इस अनुच्छेद की अहम भूमिका है।
किसी भी राज्य को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है, जिससे देश की अखंडता सुनिश्चित होती है।
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